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Class 10th Hindi Subjective Question

पाठ-7 परंपरा के मूल्यांकन ( गोधूलि भाग-2 गध खंड ) Subjective Question 2023 || Parampara ka Mulyankan Subjective Question Answer 2023

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दोस्तों यहां पर आपको कक्षा दसवीं हिंदी गोधूलि भाग 2 बिहार बोर्ड के लिए परंपरा के मूल्यांकन पाठ का सब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।और यहाँ पर Parampara ka Mulyankan का Objective Question Answer दिया गया है। जिसे आप आसानी से पढ़ सकते है

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परंपरा के मूल्यांकन Subjective Question Answer 2023

1. परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?

उत्तर ⇒ जो लोग साहित्य में युग परिवर्तन और रूढ़ियों को तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान ज्यादा आवश्यक है। क्योंकि साहित्य की परंपरा के ज्ञान से ही प्रगतिशील आलोचना का विकास होता
है।

2. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्त्वपूर्ण मानता है ?

उत्तर ⇒ परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक इसलिए महत्त्वूपर्ण मानता है, क्योंकि विवेक के आधार पर उस साहित्य का निर्धारण करते हैं जो श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिंबित करता है। इसके साथ ही हम उस साहित्य को देखते हैं, जिसका आधार शोषितों का श्रम हो और वह कहाँ तक उपयोगी है ?

3. साहित्य का कौन-सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है ? इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ साहित्य का वह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है, जिसमें मनुष्य का इन्द्रिय बोध और भावनाएँ भी व्यंजित होती हैं। इस सम्बंध में लेखक की राय है कि साहित्य मनुष्य के संपूर्ण जीवन से जुड़ा होता है। उसकी आदिम भावनाएँ उसमें आ जाती हैं, जो उसे प्राणी मात्र से जोड़ती हैं। ऐसा इसलिए है कि साहित्य केवल विचारधारा नहीं है बल्कि उसमें भावनाएँ भी होती हैं।

4. ‘साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती, जैसे समाज में’ लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ लेखक का आशय यह है कि जिस तरह समाज विकसित होता है वैसे ही साहित्य में विकास होता है। समय के साथ समाज में जो बदलाओ होते हैं वैसे ही साहित्य परिवर्तित होता रहता है।

class 10th परंपरा के मूल्यांकन ka Subjective question answer 2023

5. लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए भी उसकी सापेक्ष स्वाधीनता किन दृष्टांतों द्वारा प्रमाणित करता है?

उत्तर ⇒ लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए उसकी सापेक्ष स्वाधीनता को प्रमाणित करते हुए अमेरिका, एथेन्स, भारत और ईरान का दृष्टांत देता है। लेखक कहता है कि अमेरिका और एथेंस दोनों गुलाम थे लेकिन एथेंस ने सारे यूरोप को प्रभावित किया जबकि अमेरीकी मालिकों ने मानव सभ्यता को कुछ नहीं दिया। सामंतवाद पूरी दुनिया में था फिर भी महान कविता के केन्द्र भारत और ईरान थे।

6. साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक किन खतरों से आगाह करता है ?

उत्तर ⇒ लेखक साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करता है लेकिन इस पक्ष को स्वीकार करने में खतरा भी मानता है। प्रतिभाशाली मनुष्य की कृति में दोष नहीं होता। कला का दोष रहित होना भी एक तरह का दोष है। जब तक कला दोषपूर्ण नहीं होगी तब तक प्रतिभा का अद्वितीय कार्य भी संभव नहीं होगा।

7. राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी कैसे होते हैं ?

उत्तर ⇒ राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी होते हैं क्योंकि राजनीति बदलती है, समाप्त होती है लेकिन साहित्य के मूल्य कभी नहीं समाप्त होते हैं। रोमन साम्राज्य समाप्त हो गया पर कवि वर्जिल के काव्य का मूल्य आज भी है। यदि बिट्रिश साम्राज्य समाप्त भी हो जाए फिर भी शेक्सपियर, मिलटन तथा शेली जैसे साहित्यकारों का साहित्य वैसे का वैसा जगमगाता रहेगा।

8. जातीय अस्मिता का लेखक किस प्रसंग में उल्लेख करता है और उसका क्या महत्त्व बताता है ?

उत्तर ⇒ जातीय अस्मिता का उल्लेख लेखक ने साहित्य के विकास के प्रसंग में किया है। उसका महत्त्व बताते हुए कहता है कि साहित्य के विकास में जातियों की विशेष भूमिका होती है। यूरोप के सांस्कृतिक विकास में जो भूमिका प्राचीन यूनानियों की है, वह अन्य किसी जाति की नहीं है।

परंपरा के मूल्यांकन सब्जेक्टिव क्वेश्चन

9. जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है ?

उत्तर ⇒ जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक कहता है कि एक राष्ट्र में भिन्न-भिन्न जातीय अस्मिताएँ होती हैं जबकि राष्ट्र की केवल एक अस्मिता होती है। दोनों में समानता यह है कि भिन्नता वाली जातीय अस्मिताएँ राष्ट्र हित में एक होकर राष्ट्रीय अस्मिता हो जाती है।

10. बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता ?

उत्तर ⇒ बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता है क्योंकि बहुजातीय राष्ट्रों का इतिहास मिला-जुला इतिहास नहीं है। भारत इनसे अलग बहुजातीय देश है। भारतीय. जातियों का इतिहास मिला-जुला
इतिहास है।

11. भारत की बहुजातीयता मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है। कैसे ?

उत्तर ⇒ भारत की बहुजातीयता संस्कृति और इतिहास की देन है क्योंकि यहाँ राष्ट्रीयता एक जाति का दूसरी जाति पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं हुई। यहाँ बहुजातीयता जातियों की आपसी संस्कृति के संगम से हुई है।

12. किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है? इस प्रसंग में लेखक के विचारों पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒ लेखक का विचार है कि समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है क्योंकि समाजवाद के कारण रूस पुर्नगठित होकर नवीन राष्ट्र बना। इसी तरह भारत में समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर यहाँ की अस्मिता और अधिक सुदृढ़ होगी। पूँजीवाद में शक्ति का अपव्यय होता है। देश के साधनों का सदुपयोग समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है। आज भारत से बहुत छोटे-छोटे देश समाजवाद के कारण अधिक सम्पन्न बन गए हैं। इसलिए समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है।

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13. निबंध का समापन करते हुए लेखक कैसा स्वप्न देखता है ? उसे साकार करने में परंपरा की क्या भूमिका हो सकती है ? विचार करें

उत्तर ⇒ लेखक निबंध समाप्त करते हुए आशावादी स्वप्न देखता है कि भारत में जब समाजवाद आयेगा और लोग साक्षर होंगे। भारत की जनता प्राचीन और नवीन साहित्य ज्ञान के साथ एशियाई और यूरोपीय साहित्य ज्ञान प्राप्त कर सकेगी। तभी यह संभव है कि अंग्रेजी का प्रभुत्व समाप्त होगा। सही अर्थों में साहित्य परंपरा का मूल्यांकन हो सकेगा।

14. साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है। इस मत को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने कौन-से तर्क और प्रमाण उपस्थित किए हैं ?

उत्तर ⇒ लेखक का मानना है कि साहित्य सापेक्ष रूप से स्वाधीन होता है। अपने इस मत के प्रमाण में लेखक. अमेरिका और एथेन्स का उदाहरण प्रस्तुत करता है। लेखक कहता है कि ऐथेन्स और अमेरिका दोनों गुलाम थे। परंतु एथेन्स के साहित्य ने संपूर्ण यूरोप को प्रभावित किया।

15. व्याख्या करें –

विभाजित बंगाल से विभाजित पंजाब की तुलना कीजिए, तो ज्ञात हो जाएगा कि साहित्य की परंपरा का ज्ञान कहाँ ज्यादा है, कहाँ कम है और इस न्यूनाधिक ज्ञान के सामाजिक परिणाम क्या होते हैं।

संदभ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित निबंध का ‘परंपरा का मूल्यांकन’ से अवतरित है। इसके लेखक मार्क्सवादी न आलोचक रामविलास शर्मा हैं।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने साहित्य की परंपरा और अविभाजित अस्मिता पर विचार किया है।

व्याख्या : लेखक कहता है कि साहित्य और सांस्कृतिक परंपरा जीवित रहने पर जाति की अस्मिता भी जीवित रहती है और विकसित होती रहती है। लेखक बंगाल का उदाहरण देते द्वारा कहता है कि बंगाल का विभाजन हुआ लेकिन वहाँ की सांस्कृतिक परंपरा नहीं विभाजित हुई। क्योंकि वहाँ साहित्य की परंपरा एक ही थी। इधर पंजाब के विभाजन और साहित्यिक तथा सांस्कृतिक विभाजन ने ज्ञान को सीमित कर दिया। पंजाब की अपेक्षा बंगाल में साहित्य परंपरा का विकास हुआ।

Class 10th Hindi Subjective Question 2023

Hindi Subjective Question
S.N गोधूलि भाग 2 ( गद्यखंड )
1. श्रम विभाजन और जाति प्रथा
2. विष के दाँत
3. भारत से हम क्या सीखें
4. नाखून क्यों बढ़ते हैं
5. नागरी लिपि
6. बहादुर
7. परंपरा का मूल्यांकन
8. जित-जित मैं निरखत हूँ
9. आवियों
10. मछली
11. नौबतखाने में इबादत
12. शिक्षा और संस्कृति
Hindi Subjective Question
S.N गोधूलि भाग 2 ( काव्यखंड )
1. राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2. प्रेम-अयनि श्री राधिका
3. अति सूधो सनेह को मारग है
4. स्वदेशी
5. भारतमाता
6. जनतंत्र का जन्म
7. हिरोशिमा
8. एक वृक्ष की हत्या
9. हमारी नींद
10. अक्षर-ज्ञान
11. लौटकर आऊंगा फिर
12.  मेरे बिना तुम प्रभु
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Indrajeet Kumar
मैं इंद्रजीत कुमार हूं. मैं Pragatishilclasses.com पर एक ब्लॉगर और सामग्री निर्माता हूं। मेरे पास विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव है जिसमें सरकारी नौकरियों के अपडेट, नवीनतम समाचार अपडेट, खेल, सरकारी योजनाएं, गेमिंग, राजनीति, तकनीकी रुझान, वित्त, सरकारी नीतियां आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान घटनाएं शामिल हैं।
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